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स्वरोजगार से बदल रही गांवों की तस्वीर, महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

स्वरोजगार से बदल रही गांवों की तस्वीर, महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

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सरकारी योजनाओं से मिली प्रेरणा, जीविका के सहारे सशक्तिकरण की ओर बढ़ा कदम,स्वरोजगार से बदल रही गांवों की तस्वीर, महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

शिवाजीनगर प्रखंड अंतर्गत बल्लीपुर, रहियार दक्षिण और घिवाही में बुधवार को एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल के तहत महिला संवाद कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का नेतृत्व जीविका महिला ग्राम संगठन ने किया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी देना, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करना और स्वरोजगार से जोड़ना रहा।कार्यक्रम की शुरुआत एक बीडियो फिल्म के माध्यम से की गई, जिसमें सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं एवं जीविका के जरिए ग्रामीण विकास में हुए बदलावों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया।

फिल्म के माध्यम से यह बताया गया कि किस प्रकार जीविका ने पिछले 17 वर्षों में महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ाया है। जीविका बीपीएम नितु कुमारी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अब तक हजारों महिलाएं जीविका से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी हैं। महिलाएं अब बकरी पालन, मिठाई की दुकान, फास्ट फूड व्यवसाय, आटा चक्की, सब्जी बेचने, सिलाई-कढ़ाई और अगरबत्ती निर्माण जैसे करीब 27 प्रकार के लघु उद्योगों से जुड़ चुकी हैं।

स्वरोजगार से बदल रही गांवों की तस्वीर, महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

उन्होंने न केवल परिवार की आय में वृद्धि की है, बल्कि समाज में एक सम्मानजनक पहचान भी हासिल की है। कार्यक्रम में भाग लेने वाली महिलाओं ने खुलकर अपने अनुभव साझा किए। जीविका से जुड़ी 10 महिलाओं ने मंच से अपनी सफलता की कहानियां सुनाईं, जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार वे पहले सिर्फ घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, लेकिन आज वे परिवार की रीढ़ बन चुकी हैं और अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा भी दिला पा रही हैं।

जीविका बीपीएम नितु कुमारी
ने कहा कि महिला संवाद का एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि महिलाएं अपने सामाजिक और पारिवारिक मुद्दों को खुलकर साझा कर सकें ताकि उनके समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं जैसे स्वयं सहायता समूह ऋण योजना, मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता योजना, पीएम स्वरोजगार योजना आदि से महिलाएं जुड़कर लाभ ले सकती हैं। इस अवसर पर उपस्थित महिलाओं ने कार्यक्रम को ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला बताया।

बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी ने यह साबित कर दिया कि अब गांव की महिलाएं सिर्फ सहन करने वाली नहीं, बल्कि निर्णय लेने वाली भी बन रही हैं। यह आयोजन न सिर्फ एक संवाद था, बल्कि एक सशक्त पहल भी, जिसने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को नई ऊर्जा और दिशा देने का काम किया। जीविका और सरकार की संयुक्त पहल से यह स्पष्ट हो गया है कि यदि महिलाओं को सही जानकारी, संसाधन और मार्गदर्शन मिल जाए, तो वे किसी भी बदलाव की अग्रदूत बन सकती हैं। इस संवाद कार्यक्रम ने साबित किया कि सशक्त महिला ही सशक्त गांव और सशक्त समाज की आधारशिला होती है।

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