शिवाजीनगर, समस्तीपुर: प्रखंड मुख्यालय स्थित मनरेगा भवन के सभागार में सोमवार को एक दिवसीय किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। ‘आत्म निर्भर कृषि मिशन, समस्तीपुर’ के तत्वावधान में आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का मुख्य केंद्र बिंदु “जलवायु अनुकूल कृषि” रहा। खरीफ सत्र को ध्यान में रखते हुए इस गोष्ठी का उद्देश्य किसानों को बदलते मौसम के मिजाज के अनुरूप खेती करने की आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक पद्धतियों से अवगत कराना था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उप प्रमुख प्रतिनिधि श्री राम पुकार महतो ने की तथा मंच का सफल संचालन सहायक तकनीकी प्रबंधक श्री इंद्रजीत गौरव ने किया।
बदलते मौसम में टिकाऊ खेती पर जोर
गोष्ठी को संबोधित करते हुए कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने कहा कि आज के दौर में जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है, जिसका सीधा असर कृषि पर पड़ रहा है। असमय वर्षा, सूखा या अत्यधिक गर्मी से फसलों को बचाने के लिए किसानों को अब परंपरागत खेती के तरीकों से आगे बढ़कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
प्रखंड उद्यान पदाधिकारी श्री सरोज कुमार पासवान ने किसानों को बीज उत्पादन और समय पर खेती करने की विधियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, “सही समय पर उन्नत और प्रमाणित बीजों का चयन ही अच्छी फसल का आधार है। इससे न केवल पैदावार में वृद्धि होती है, बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी हो सकती है।”
यांत्रिकीकरण और मोटे अनाज की खेती बनी चर्चा का केंद्र
कृषि विज्ञान केंद्र, लादा से आए वैज्ञानिक श्री जोगेंद्र सोरेन ने कृषि में यांत्रिकीकरण के महत्व पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर, रोटावेटर और अन्य आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग श्रम और समय की बचत करता है, जिससे खेती की कुल लागत में कमी आती है।
उन्होंने किसानों को मक्का और मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी आदि की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। श्री सोरेन ने बताया, “मोटे अनाज न केवल पोषण से भरपूर होते हैं, बल्कि इनकी खेती में पानी की खपत कम होती है और यह विषम जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देते हैं। यह पोषण सुरक्षा और आर्थिक मजबूती, दोनों का एक बेहतरीन विकल्प है।”
जैविक खेती और सरकारी योजनाओं की दी गई जानकारी

किसानों को रासायनिक खादों और कीटनाशकों के दुष्प्रभावों से अवगत कराते हुए जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। विशेषज्ञों ने प्राकृतिक खाद, वर्मीकम्पोस्ट और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करने की सलाह दी, ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे और पर्यावरण का भी संरक्षण हो।
इस अवसर पर कृषि विभाग की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की भी विस्तृत जानकारी दी गई, जिनमें प्रमुख हैं:
- कृषि यांत्रिकीकरण योजना: आधुनिक कृषि उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी।
- बीज अनुदान योजना: उन्नत किस्म के बीजों पर सरकारी अनुदान।
- फसल बीमा योजना: प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई।
आत्मा के प्रतिनिधियों ने बताया कि विभाग द्वारा किसान समूहों के माध्यम से नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं और किसानों को जिला व राज्य स्तर पर लगने वाले कृषि मेलों में भी भेजा जाता है, ताकि वे नई तकनीकों से सीधे जुड़ सकें।
गोष्ठी में कृषि समन्वयक मणिकांत चौधरी, ललन कुमार, पुष्पेश शुभ्रांशु, राकेश कुमार सहित कृषि विभाग के कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। वहीं, क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों में श्रवण कुमार झा, लाल बिहारी मंडल, मनोज कुमार, रमाकांत सिंह समेत बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए और अपनी समस्याओं पर विशेषज्ञों से सीधा संवाद किया। कार्यक्रम के अंत में किसानों ने ऐसे जानकारीपूर्ण आयोजनों को नियमित रूप से कराने की मांग की।