मुंबई की एक साधारण कैब ड्राइवर ने युवा उद्यमी आर्यन सिंह कुशवाहा को चौंका दिया। ड्राइवर पराग पाटिल, एक पूर्व ओलंपियन, उनके सामने थे। क्या यह अद्भुत नहीं? पाटिल ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का गौरव बढ़ाया। एथलेटिक्स में उनके पास दो स्वर्ण, ग्यारह रजत और तीन कांस्य हैं। कितनी शानदार उपलब्धियां! एशिया में उनके ट्रिपल जंप और लॉन्ग जंप के कारनामे आज भी गूंजते हैं। क्या कोई सोच सकता था कि एक साधारण सफर में इतना बड़ा रहस्य छिपा हो?
कुशवाहा ने इस शानदार मुलाकात को सोशल मीडिया पर बिखेर दिया। उन्होंने लिखा:
“मेरा ओला ड्राइवर एक ओलंपियन है! मिलिए पराग पाटिल से—एशिया में ट्रिपल जंप का दूसरा सितारा।
भारत का गर्व, 2 स्वर्ण, 11 रजत, 3 कांस्य!
लेकिन अजीब है, उनके पास कोई प्रायोजक नहीं।
वे अपने परिवार का पेट पालने में जूझ रहे हैं।
क्या हम सब मिलकर पराग को फिर से भारत का चेहरा बनाने में मदद कर सकते हैं?”
इस पोस्ट में कुशवाहा और पाटिल की एक दिल को छू लेने वाली तस्वीर है। यह तस्वीर瞬ात में वायरल हो गई। सोशल मीडिया पर पराग पाटिल की मेहनत और संघर्ष को लेकर प्रशंसा और चिंता का तूफान मच गया।
कई लोगों ने गर्व और निराशा के रंग बिखेरते हुए लिखा, “प्रेरणा से भरपूर, लेकिन दिल को चीर देने वाला! क्या अद्भुत हिम्मत है!” फिर किसी ने चुटकी ली, “हमारे सेवानिवृत्त एथलीटों के लिए योजनाएं क्यों नहीं? ये तो तुरंत ध्यान देने का मामला है!”
कुछ यूजर्स ने क्राउडफंडिंग और कंपनियों से मदद की बात की। दूसरों ने सिस्टम में बदलाव की पुकार लगाई। पराग की कहानी ने सेवानिवृत्त खिलाड़ियों की गरिमा को फिर से जगाया। क्या हम उनके योगदान को सच में समझते हैं? अब समय है नीतियों में बदलाव की, ताकि उन्हें उचित सम्मान मिले।
यह कहानी सिर्फ प्रेरणा नहीं जगाती। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है: हमारे खेल नायकों को मेहनत और सफलता का मान क्यों नहीं मिलता? क्या यह अन्याय नहीं है?
read more :- सोने की कीमत 150 रुपये उड़ी, लेकिन चांदी वहीं ठहरी। बाजार में सुस्ती का जादू, क्या सोने की चमक फिर से फैलेगी?