नागपंचमी पर उमड़ा आस्था का सैलाब, 100 साल पुरानी परंपरा आज भी जीवंत
शिवाजीनगर, समस्तीपुर – शिवाजीनगर प्रखंड के प्रसिद्ध काकर घाट विषहर स्थान पर मंगलवार को नागपंचमी का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। यहां 100 साल से भी अधिक पुरानी परंपरा के तहत आसपास के 50 से अधिक गांवों के हजारों श्रद्धालुओं ने विषहरी माता की पूजा-अर्चना की।
सुबह से उमड़ी भीड़, पूजा में दिखी गहरी आस्था

सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। लोगों ने दूध, लावा, झांप, बेलपत्र, नीम की डाली, कुश और फूल चढ़ाकर विषहरी माता की पूजा की। घरों में गोबर की टिकिया बनाई गई और नीम की डाली व कुश लगाया गया। पूजा के बाद नीम दही का प्रसाद बांटा गया। इसके अलावा, घरों में पूरी, खीर और आम जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए गए।
भगतों के करतब ने बढ़ाया उत्साह
दोपहर बाद का कार्यक्रम सबसे आकर्षक रहा, जहां भगत बमबम सहनी और उनके सहयोगियों ने जीवित सांपों के साथ अद्भुत करतब दिखाए। भगतों ने करेंह नदी से सांप पकड़कर उन्हें गले में लपेटा, हाथों में उठाया और यहां तक कि मुंह में भी रखा, जिसे देखकर श्रद्धालु हैरान रह गए।
50 गांवों से आए श्रद्धालु

इस अवसर पर समस्तीपुर के सिंघिया, रोसड़ा, शिवाजीनगर और दरभंगा के बहेरी प्रखंड सहित कई गांवों के लोग पहुंचे। चितौरा, बेला, कोच्चि, लक्ष्मीनिया, बुनियादपुर, गीतहा, गम्हरिया, कोलहट्टा, जाखर धरमपुर, बिशनपुर जैसे गांवों के श्रद्धालुओं ने न केवल पूजा की, बल्कि लोकगीत, कथा और सांपों के प्रदर्शन के जरिए अपनी आस्था प्रकट की।
युवाओं ने भी निभाई भूमिका

ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी युवा पीढ़ी इसे संजोने में जुटी हुई है। इस दिन यहां मेले जैसा माहौल होता है, जहां लोकसंस्कृति और आस्था का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
इसी तरह, शिवाजीनगर, डुमरा डीह टोले, शिवरामा, सरहिला, मेघपट्टी, करियन, गायघाट, मधुरापुर, शिवराम, ठीका नवका टोल, भटौरा, हरिहरपुर आदि क्षेत्रों में भी नागपंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया।
