पटना: देश में ठंड की चादर फैल रही है, लेकिन बिहार की राजनीतिक पिच पर गर्मी का खेल चल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लालू यादव ने गठबंधन में लौटने का आमंत्रण दिया है। अब एनडीए और महागठबंधन के नेताओं के बीच बयानबाजी की गर्मी बढ़ती जा रही है। क्या यह राजनीतिक तापमान और चढ़ेगा?
कांग्रेस ने गांधीवादी विचारों की बात की।
कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने इस मुद्दे पर क्या कहा? चलिए, सुनते हैं उनकी आवाज़!
“जो भी गांधी के रास्ते पर चलना चाहते हैं, वे हमारे साथ कदम से कदम मिलाएंगे। नीतीश कुमार तो खुद गांधीवादी हैं।”
“शकील की बातों ने राजनीतिक हलचलों को और हवा दे दी है। क्या ये बयान किसी बड़े बदलाव की शुरुआत है?”
एलजेपी (रामविलास) का जवाबी हमला!
राजू तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष, ने नीतीश कुमार के आरजेडी में जाने की बातें ठुकरा दी। क्या ये सिर्फ कागज़ों की कसरत है?
तेजस्वी यादव और आरजेडी किस ख्वाब में खोए हैं? एनडीए गठबंधन तो पुख्ता दीवार की तरह खड़ा है। क्या उनका सपना हकीकत बन पाएगा?
आरजेडी ने एक दिलचस्प बयान दिया।
राजद नेता आलोक मेहता ने इस मुद्दे पर कहा, “क्या हम सच में इस पर चुप रह सकते हैं?”
लालू यादव ने क्या कहा? पता नहीं! इस वक्त तो कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा। क्या सच में कुछ चौंकाने वाला है?
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क्या नीतीश की वापसी का कोई जादू है?
लालू यादव के प्रस्ताव ने राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। क्या नीतीश फिर से महागठबंधन की गोद में लौटेंगे? जदयू की चुप्पी सब कुछ कहती है।
सियासी माहौल गरम है।
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की हर हरकत पर सबकी नजरें टिकी हैं। क्या यह गहमागहमी खत्म होगी? विपक्ष और सत्ताधारी गठबंधन में बयानबाजी का दौर जारी है। राजनीति की गर्माहट बढ़ती जा रही है!