नीतीश कुमार की खामोशी और बिहार की सियासत: अगले मोड़ का इंतजार
पटना। राजनीति की अपनी एक अनकही भाषा होती है, और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस कला में अद्वितीय हैं। हालिया खामोशी ने बिहार की सियासत में हलचल पैदा कर दी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना—“नीतीश कुमार के साथ नहीं जाएंगे”—ने थोड़ी शांति दी, लेकिन सियासत के पंडित अब भी नीतीश की चुप्पी के राज़ समझने में जुटे हैं। क्या उनकी खामोशी में कोई गहरा संदेश छिपा है?
दिल्ली की यात्रा और जेपी नड्डा से मिलने का रहस्य!
शनिवार को नीतीश कुमार ने महावीर मंदिर न्यास के सचिव किशोर कुणाल के निधन के बावजूद दिल्ली की ओर रुख किया। वहां उन्होंने नियमित स्वास्थ्य जांच करवाई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिवार से मिले। इस दौरान, चर्चा थी कि नीतीश कुमार बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने वाले हैं। लेकिन फिर अचानक, जैसे बादल छा जाएं, खबर आई कि यह मुलाकात रद्द हो गई।
क्यों ऐसा हुआ? रहस्य गहराता जा रहा है!
“छात्रों के प्रदर्शन ने नीतीश कुमार को पटना लौटने पर मजबूर कर दिया। लेकिन क्या यह एक साधारण संयोग है, या सियासत की बड़ी चाल का हिस्सा?”
तेजस्वी यादव ने सीतामढ़ी में चौंकाने वाला ऐलान किया।
नीतीश कुमार के साथ नहीं चलेंगे, ये साफ कर दिया। क्या ये महज एक संयोग है? जेपी नड्डा और नीतीश की मुलाकात की खबर आई। सियासत के जानकार इसे और कुछ मानते हैं। क्या खेल चल रहा है?
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एनडीए में हलचल!
क्या नीतीश कुमार की स्वतंत्रता और बीजेपी की सत्ता के जादू में टकराव है? बिहार में तनाव बढ़ रहा है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का पटना में अचानक आगमन? ये सब क्या एक संकेत है? आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के बड़े पैमाने पर ट्रांसफर भी इसी साज़िश का हिस्सा हैं? राजनीति का ये ताना-बाना क्या और भी पेचीदा होगा?
क्या नीतीश कुमार चुनावी रंग में रंग गए हैं?
उनकी हरकतें तो यही इशारा करती हैं! दिल्ली से पटना की दौड़-धूप बयां करती है कि वह हर स्थिति का सामना करने को तत्पर हैं। लेकिन, क्या उनके मन में एनडीए से अलग कोई विचार पल रहा है? यह सवाल अभी भी अनसुलझा है।
सियासी इशारों की घड़ी आई है।
बिहार की राजनीति और नीतीश कुमार की चुप्पी, क्या देश की राजनीति को भी झकझोर देगी? अगला मोड़ क्या होगा, कौन सा नया ड्रामा सामने आएगा? “राजनीति में कब क्या बदल जाए, यह तो कोई नहीं जानता! क्या आपको भी ऐसा नहीं लगता?”