स्कूलों में गूंजे सुरक्षा के सबक: ‘सुरक्षित शनिवार’ के तहत बच्चों ने सीखे सड़क और रेल सुरक्षा के गुर
शिवाजीनगर, संस।“सावधानी हटी, दुर्घटना घटी” – यह सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि सड़क पर चलते हुए हर पल याद रखने वाला जीवन मंत्र है। इसी मंत्र को बच्चों के मन में बैठाने के उद्देश्य से शिवाजीनगर प्रखंड के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत ‘सुरक्षित शनिवार’ का आयोजन किया गया। इस महीने का मुख्य विषय ‘सड़क/रेल दुर्घटना एवं सुरक्षा नियम’ था, जिसके अंतर्गत बच्चों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया गया।
यह कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार में हर साल 5,000 से 7,000 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। शिक्षकों ने बच्चों को समझाया कि सड़क पर चलना एक अदृश्य आपदा के साथ चलने जैसा है, जिससे बचने का एकमात्र तरीका नियमों का कड़ाई से पालन करना है।
नाटकों और पोस्टरों से दिया सुरक्षा का संदेश
प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय कलवारा, मध्य विद्यालय बुनियादपुर, शिवाजीनगर, रामभद्रपुर, बल्लीपुर, परशुराम समेत दर्जनों प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में यह कार्यक्रम पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। बच्चों ने पोस्टर-मेकिंग, कविता-पाठ और प्रश्नोत्तरी जैसी गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई स्कूलों में बच्चों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से यह दर्शाया कि कैसे मोबाइल पर बात करना, तेज गति से वाहन चलाना या हेलमेट न पहनना जानलेवा साबित हो सकता है। इन नाटकों के जरिए बच्चों ने सावधानी बरतकर अपनी और दूसरों की जान बचाने का प्रभावी संदेश दिया।
बच्चों को सिखाए गए जीवन रक्षक नियम:
- सड़क पार करना: हमेशा ज़ेब्रा क्रॉसिंग का उपयोग करें। सड़क पार करते समय पहले दाएं, फिर बाएं और फिर दाएं देखकर ही आगे बढ़ें।
- ट्रैफिक सिग्नल: लाल, पीली और हरी बत्ती के महत्व को समझें और हमेशा उनका पालन करें।
- रेलवे फाटक: बंद रेलवे फाटक को कभी पार करने की कोशिश न करें। यह जानलेवा हो सकता है।
- दोपहिया वाहन: साइकिल हमेशा सड़क के बाईं ओर चलाएं। बाइक पर चालक और पीछे बैठने वाले, दोनों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है।
- वाहन में सुरक्षा: सफर के दौरान कभी भी शरीर का कोई अंग (हाथ या सिर) वाहन से बाहर न निकालें।
- मोबाइल का प्रयोग: वाहन चलाते समय मोबाइल फोन, विशेषकर सेल्फी का प्रयोग बिल्कुल न करें।
इस अवसर पर पूर्व बीआरपी सह प्रधानाध्यापक बालमुकुंद सिंह ने कहा, “बच्चों को छोटी उम्र से ही सुरक्षा नियमों की जानकारी देना एक सुरक्षित समाज की नींव रखने जैसा है। ‘सुरक्षित शनिवार’ कार्यक्रम इस दिशा में एक सराहनीय पहल है।”
कार्यक्रम के सफल आयोजन में शिक्षक राजकुमार राय, मदन कुमार, जैनुद्दीन, सरिता कुमारी, प्रदीप कुमार, सतनारायण आर्य, और विवेकानंद चौधरी समेत कई अन्य शिक्षकों और अभिभावकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कार्यक्रम बच्चों में केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन जीने के महत्वपूर्ण कौशल विकसित करने की दिशा में एक सफल कदम साबित हुआ।
