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तिरुपति में शुरू हुआ अंतर्राष्ट्रीय मंदिर सम्मेलन एवं एक्सपो 2025, सीएम नायडू-फडणवीस-सावंत ने की तकनीक और आध्यात्मिक पर्यटन की चर्चा

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तिरुपति, 17 फरवरी 2025: अंतर्राष्ट्रीय मंदिर सम्मेलन एवं एक्सपो (ITCX) के दूसरे संस्करण का आगाज आज तिरुपति के आशा कन्वेंशन सेंटर में धूमधाम से हुआ। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम को ‘मंदिरों का महाकुंभ’ नाम दिया गया है, जिसका उद्देश्य भारत के मंदिरों की सांस्कृतिक विरासत को नए युग के साथ जोड़ना है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस और गोवा के सीएम डॉ. प्रमोद सावंत ने संयुक्त रूप से इसका शुभारंभ किया। केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक और कई आध्यात्मिक गुरुओं ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

प्रमुख बिंदु:

  1. तकनीक और मंदिर प्रबंधन:
    • सीएम चंद्रबाबू नायडू ने अपने संबोधन में AI और डिजिटल तकनीक को मंदिर प्रबंधन और भक्तों के अनुभव को बेहतर बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, और मंदिर इस विकास में सांस्कृतिक सेतु की भूमिका निभाएंगे।”
    • उन्होंने 2023 के वाराणसी संस्करण की सफलता को याद करते हुए कहा कि पहले ITCX में 32 देशों के 1,098 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।
  2. आध्यात्मिक पर्यटन का आर्थिक प्रभाव:
    • महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ‘टेंपल कनेक्ट’ पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह परियोजना अहिल्याबाई होलकर और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, “मंदिर न केवल आस्था के केंद्र हैं, बल्कि ये रोजगार और सांस्कृतिक एकता के स्तंभ भी हैं।”
  3. सनातन धर्म की रक्षा का इतिहास:
    • गोवा के सीएम डॉ. प्रमोद सावंत ने विदेशी आक्रमणों के बावजूद हिंदू राजाओं द्वारा मंदिर संरक्षण के प्रयासों को याद किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “मंदिर भारत की विविधता में एकता का प्रतीक हैं।”
  4. पीएम मोदी का संदेश:
    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत को रेखांकित करते हुए कहा, “ITCX 2025 आत्मनिर्भर भारत के सपने को मंदिरों की शक्ति के साथ जोड़ने का मंच है।”

एक्सपो का स्वरूप:

तिरुपति में शुरू हुआ अंतर्राष्ट्रीय मंदिर सम्मेलन एवं एक्सपो 2025, सीएम नायडू-फडणवीस-सावंत ने की तकनीक और आध्यात्मिक पर्यटन की चर्चा
  • इस तीन दिवसीय आयोजन में मंदिर वास्तुकला, डिजिटल प्रबंधन, धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक शोध पर विशेष सत्र आयोजित होंगे।
  • देश-विदेश के 789 प्रतिष्ठित मंदिरों के प्रतिनिधि और विद्वान अपने अनुभव साझा करेंगे।

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