Friday, February 21, 2025
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राजस्थान के बीकानेर में जिम में हुई दुर्घटना में जूनियर नेशनल चैंपियन यश्तिका आचार्य की मौत, 270 किलो वेट बार गिरने से टूटी गर्दन

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पावरलिफ्टिंग की उभरती हुई स्टार और जूनियर नेशनल गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता यश्तिका आचार्य (17 वर्ष) का सपना बीकानेर के एक जिम में हुई भीषण दुर्घटना में समाप्त हो गया। बुधवार को प्रशिक्षण के दौरान 270 किलोग्राम का वेट बार उनकी गर्दन पर गिरने से उनकी मौत हो गई। इस दुर्घटना में उनके ट्रेनर को भी मामूली चोटें आईं।

घटना का विवरण:
यश्तिका उस समय जिम में सामान्य प्रशिक्षण ले रही थीं, जब अचानक वेट बार संतुलन खोकर उनके गर्दन पर गिर गया। इससे उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई और वहीं पर वह बेहोश हो गईं। ट्रेनर की मौजूदगी के बावजूद यह हादसा रोका नहीं जा सका। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे लोगों में सदमा और शोक की लहर दौड़ गई है।

अस्पताल में निधन:
यश्तिका को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने बताया कि यह घटना प्रशिक्षक की देखरेख में ही वेटलिफ्टिंग अभ्यास के दौरान हुई। परिजनों ने अभी तक कोई कानूनी शिकायत दर्ज नहीं कराई है। पोस्टमॉर्टम के बाद यश्तिका का शव उनके परिवार को सौंप दिया गया।

एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी का सफर:
यश्तिका ने पिछले साल गोवा में आयोजित नेशनल बेंच प्रेस चैंपियनशिप (सब-जूनियर 84kg+ कैटेगरी) में स्वर्ण पदक जीता था। उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी। पावरलिफ्टिंग के प्रति उनका जुनून और लगन उनके कोच और साथियों के लिए प्रेरणा थी।

पावरलिफ्टिंग: एक चुनौतीपूर्ण खेल:
पावरलिफ्टिंग में स्क्वैट, बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट जैसे तीन मुख्य लिफ्ट्स शामिल होते हैं। यह खेल ओलंपिक वेटलिफ्टिंग या बॉडीबिल्डिंग से अलग है, जिसमें अधिकतम शक्ति का परीक्षण किया जाता है। 20वीं सदी में यूके और यूएसए में लोकप्रिय हुए इस खेल का इतिहास प्राचीन शक्ति परंपराओं से जुड़ा है, लेकिन आधुनिक समय में यह अत्यधिक मांग वाला और जोखिमभरा बना हुआ है।

शोक की लहर:
यश्तिका की अचानक मौत ने खेल जगत और उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसकों और साथी खिलाड़ियों ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए हैं। यश्तिका का सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करना था, लेकिन यह दुर्घटना उनके सुनहरे भविष्य पर विराम बन गई।

अंतिम संस्कार:
परिवार ने यश्तिका का अंतिम संस्कार बीकानेर में ही किया। उनके गुरु और साथियों ने उन्हें भावभीली विदाई दी। इस दुखद घटना ने खेलों में सुरक्षा प्रोटोकॉल पर गंभीर चर्चा शुरू कर दी है।

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