S News85

मकर संक्रांति: प्रकृति, परंपरा और समृद्धि का पर्व

मकर संक्रांति: प्रकृति, परंपरा और समृद्धि का पर्व

Share

मकर संक्रांति, भारत का एक जीवंत त्योहार है! हर साल, 14 जनवरी को, खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। क्या आपने कभी सूर्य के मकर राशि में प्रवेश की जादुई छटा देखी है? यह सर्दियों का अलविदा और गर्मियों का स्वागत करता है। यह पर्व सिर्फ खगोलीय नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का भी एक अनमोल अंग है।

मकर संक्रांति का महत्व

  1. सूर्य की पूजा: आज सूर्य उत्तरायण होता है। क्या आपको नहीं लगता कि यह सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की किरण है?
  2. खेती का जश्न: यह उत्सव फसल की कटाई का है। किसान अपनी मेहनत की मिठास चखकर खुशियों में झूम उठते हैं।
  3. स्नान और दान की महिमा: पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पाप धोते हैं। क्या पुण्य की प्राप्ति का इससे बेहतर तरीका है?
मकर संक्रांति: प्रकृति, परंपरा और समृद्धि का पर्व

त्योहार की विशेषताएं

खिचड़ी और तिल-गुड़: इस दिन ये खाने का आनंद लेना शुभ होता है। तिल-गुड़ की मिठास रिश्तों को मीठा बनाए रखती है।

पतंगबाजी: मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाना जश्न का एक अनमोल हिस्सा है। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें एकता और उत्साह की कहानी कहती हैं।

राज्यवार विविधता:

पंजाब में इसे लोहड़ी कहते हैं,
गुजरात में उत्तरायण,
असम में बिहू,
और दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाते हैं।

संस्कृति और प्रकृति का संगम

मकर संक्रांति सिर्फ एक त्योहार नहीं है; यह प्रकृति और परंपराओं का जश्न है। क्या आप जानते हैं, यह हमें संतुलन, प्रेम और सकारात्मकता का असली मतलब सिखाता है?

इस मकर संक्रांति पर, चलिए हम सब मिलकर प्रकृति, परंपरा और समृद्धि की खुशबू फैलाएं। क्या हम साथ मिलकर इस जश्न को और भी खास नहीं बना सकते?

Exit mobile version