नीतीश और तेजस्वी की तस्वीर ने सियासी पारा चढ़ा दिया! लालू के बयान ने अटकलों को और हवा दे दी।
बिहार की राजनीति में यह तस्वीर जैसे तूफान लेकर आई है। नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव के कंधे पर हाथ रखकर मुस्कुराते हैं। क्या ये हंसी-खुशी एक नई शुरुआत है? तेजस्वी हाथ जोड़कर हल्की झुकावट में मुस्कुराते हैं। क्या ये दोस्ती की मिसाल है या सियासी चाल? यह तस्वीर उस पल की है जब बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शपथ ली। औपचारिकता थी, लेकिन इस तस्वीर ने राजनीतिक गलियों में नई अटकलों को जन्म दे दिया।
आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने एक टीवी शो में दिलचस्प बयान दिया। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार के लिए मेरे दरवाजे हमेशा खुले हैं।” इस पर कांग्रेस नेता शकील अहमद खान बोले, “गांधीवादी सोच रखने वाले गोडसेवादियों से अलग हो जाएंगे। नीतीश जी तो गांधीजी के सात उपदेश हमेशा अपने टेबल पर सजाकर रखते हैं।”
नीतीश की खामोशी और जेडीयू का तेवर!
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जब पत्रकारों ने नीतीश से लालू के बयान पर सवाल किया, तो उन्होंने चुप्पी साध ली।जेडीयू के ललन सिंह बोले, “लालू जी क्या कहते हैं, ये उनसे जानिए। हम एनडीए में मज़बूती से खड़े हैं!”
ललन सिंह की सफाई तो आई, लेकिन क्या सवालों का हल मिल पाया? नीतीश कुमार की बातों में तो जैसे चाय की पत्तियों का जादू है। 2020 में उन्होंने कहा, “मिट्टी में मिल जाऊंगा, लेकिन बीजेपी का हाथ नहीं थामूंगा।” अजीब बात है! फिर भी, वो एनडीए में लौट आए। क्या यह विश्वासघात नहीं?
चुनावी मौसम में सियासत का ताप बढ़ गया है।
बिहार में विधानसभा चुनाव की दस्तक सुनाई दे रही है। नीतीश और तेजस्वी की तस्वीरें क्या इशारा कर रही हैं? लालू के बयान ने तो सियासी समीकरणों में हलचल मचा दी है। नीतीश की चुप्पी इस खींचतान को और गहरा बना रही है। आखिर क्या छिपा है उनके मन में?
क्या यह तस्वीर सिर्फ एक औपचारिक भेंट है, या बिहार की राजनीति में कोई बड़ा तूफान छिपा है? आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति का क्या रंग होगा? दिलचस्प होगा!
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