बिहार चुनाव 2025 की तैयारी में हलचल मची है। राहुल गांधी के बयान ने महागठबंधन में टकराव पैदा कर दिया। तेजस्वी के एजेंडे पर अब सवाल उठने लगे हैं। क्या ये संघर्ष चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
पटना: बिहार चुनाव 2025 का माहौल गरमाया हुआ है। राहुल गांधी का बयान महागठबंधन में खटास ला रहा है। उन्होंने जातीय जनगणना को फर्जी करार दिया। यह वही मुद्दा है, जिसे तेजस्वी यादव ने अपने चुनावी एजेंडे में चमकाया था। अब सवाल है, क्या महागठबंधन इस संकट से उबर पाएगा?
बिहार चुनाव 2025 राहुल गांधी का ये बयान उस वक्त आया, जब तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना और आरक्षण का श्रेय लेने की योजना बना रखी थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “हमारी सरकार ने बिहार में जातीय जनगणना कराई और आरक्षण बढ़ाया।” लेकिन अब राहुल के इस बयान ने उनकी सारी रणनीति पर पानी फेर दिया है। क्या ये महज संयोग है या कुछ और?
जातीय जनगणना पर विवाद क्यों उठ खड़ा हुआ?
2020 में बिहार के चुनावों के बाद, एनडीए सरकार ने जातीय जनगणना का ऐलान किया। लेकिन फिर क्या हुआ? अगस्त 2022 में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए को छोड़कर महागठबंधन की राह पकड़ी।इसके बाद, जातीय जनगणना पूरी हुई, और रिपोर्ट भी आई।अक्तूबर 2023 में आरक्षण बढ़ाने की जल्दी-जल्दी में योजना बनी।पर अदालत ने उस पर रोक लगा दी।क्या यह सब कुछ सहज था या बस एक राजनीतिक खेल?

तेजस्वी यादव ने बीजेपी की चालबाज़ी को बेनकाब किया। उन्होंने कहा, “मैंने बिहार में जातीय जनगणना करवाई और आरक्षण बढ़ाया।” अब बीजेपी उस सफलता का श्रेय खुद लेने की कोशिश में है।
महागठबंधन में दरार की आहट सुनाई दे रही है। राहुल गांधी ने “फर्जी जनगणना” कहकर आग में घी डाल दिया। सुनील कुमार सिन्हा, चाणक्या इंस्टीट्यूट के मुखिया, मानते हैं कि बिहार जैसे राज्य में जातीय गोलबंदी चुनावी नतीजों को झकझोर देती है। क्या राहुल का बयान भाजपा के लिए महागठबंधन पर वार करने का नया अस्त्र बन सकता है?
तेजस्वी यादव का अगला कदम क्या होगा? क्या वह जातीय जनगणना को अपने चुनावी प्लान से बाहर करेंगे? या राहुल गांधी के शब्दों के बावजूद इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे? महागठबंधन के सबसे बड़े नेता के तौर पर, यह उनकी राजनीतिक चालाकी की कसौटी है।
बिहार में जातीय राजनीति का जादू है। क्या विकास सच में सबसे बड़ा मुद्दा है? जातीय जनगणना और आरक्षण ने बहस को गर्म कर दिया है। राहुल गांधी का बयान महागठबंधन की एकता को कैसे भिगोएगा? और तेजस्वी यादव अपनी चाल में क्या नया घुमाव लाएंगे?

निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट सुनाई दे रही है। महागठबंधन में जातीय जनगणना पर खींचतान चल रही है। क्या यह विपक्ष को कमजोर कर देगा? भाजपा तो इस मौके को भुनाने में जुटी है। तेजस्वी यादव के लिए यह एक कठिन परीक्षा है। वह कैसे इस मुद्दे को संभालेंगे?
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