महाकुंभ में आईआईटियन बाबा बने आकर्षण का केंद्र
प्रयागराज: महाकुंभ के पवित्र त्रिवेणी संगम पर, जहां लाखों श्रद्धालु आध्यात्मिक खोज में जुटते हैं, एक अद्भुत शख्सियत ने सबका ध्यान खींचा। ये हैं बाबा अभय सिंह, जिन्हें ‘आईआईटी बाबा’ कहते हैं। आईआईटी-बॉम्बे के पूर्व छात्र और एयरोस्पेस इंजीनियर, बाबा की साधु बनने की अनोखी यात्रा ने महाकुंभ के आगंतुकों को दंग कर दिया है। क्या आप भी उनकी कहानी नहीं सुनना चाहेंगे?
हरियाणा के बाबा अभय सिंह ने ANI से कहा, “मैंने IIT की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग छोड़कर कला की राह पकड़ी। लेकिन वहां भी मन नहीं लगा। मैं भटकता रहा, और अंत में सत्य की खोज में ये सफर तय किया।”
संघर्ष और आत्म-खोज का सफर।
बाबा ने इंडिया टुडे से अपने कठिन बचपन की कहानी साझा की। परिवार ने कभी उनकी गंभीरता को नहीं समझा।फोटोग्राफी जैसे शौक पर हंसी उड़ाई गई।क्या ये मजाक नहीं, एक खंजर था?
इन हालात ने उन्हें घर छोड़ने और नई राह पर निकलने के लिए मजबूर किया।
बाबा ने कहा, “मैंने संस्कृत की मोहकता को पकड़ा और मानव मन की गुत्थियों को सुलझाने की कोशिश की। मन की चालाकियों को समझने का प्रयास किया। अवांछित विचारों से कैसे निजात पाएं?”
“डिप्रेशन से आज़ादी और नई रोशनी
गंभीर डिप्रेशन की आग में झुलसते हुए, बाबा ने अपने अंदर की गहराइयों में झांकना शुरू किया। ‘मैं खतरनाक डिप्रेशन में था। नींद भाग गई थी। मैंने सोचा, ये दिमाग है क्या? मन क्यों नहीं चल रहा?’ फिर उन्होंने मनोविज्ञान की किताबें पलटनी शुरू की।”
बाबा अभय ने इस्कॉन की शिक्षाओं और जे. कृष्णमूर्ति के विचारों से प्रेरित होकर विज्ञान और अध्यात्म को मिलाने का सफर शुरू किया। क्या यह एक अद्भुत यात्रा नहीं है?
स्वतंत्रता और आध्यात्मिकता का गहरा संवाद।
बाबा उन लेबलों को झटकते हैं। “मैं स्वच्छंद हूँ,” कहते हैं। “सच में स्वतंत्र वही है, जो कभी नहीं रुकता।” क्या आप अटके हैं?
वे मानते हैं कि योग, वैदिक सूत्र और आध्यात्मिक साधना मोक्ष का दरवाजा खोलते हैं। बाबा के शिविर में दर्शन और विज्ञान का अनोखा मेल देखने को मिलता है। क्या इससे बेहतर कोई अनुभव हो सकता है?
इस महाकुंभ के आईआईटी बाबा ने श्रद्धालुओं में न केवल आध्यात्मिकता का उजाला फैलाया, बल्कि यह भी दर्शाया कि विज्ञान और अध्यात्म मिलकर जीवन को नई राहें दिखा सकते हैं।
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