महाकुंभ मेला 2025: प्रयागराज में आस्था और संस्कृति का महासंगम शुरू
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में महाकुंभ मेला 2025 का भव्य आगाज 13 जनवरी को हुआ। पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पहले शाही स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम पर उमड़े। सुबह 8 बजे तक 40 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया।
इस बार का महाकुंभ मेला 144 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हो रहा है। यह 45 दिनों तक चलने वाला आयोजन 450 मिलियन (45 करोड़) से अधिक श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा, जिसमें 15 लाख विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। यह आयोजन आस्था और आधुनिकता का अद्वितीय संगम प्रस्तुत कर रहा है।
सीएम योगी ने दी तैयारियों की जानकारी
महाकुंभ मेला 2025: प्रयागराज में आस्था और संस्कृति का महासंगम शुरूउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेले की तैयारियों को लेकर कहा, “इस वर्ष का महाकुंभ स्वच्छता, सुरक्षा और डिजिटल पहलुओं पर केंद्रित है। यह आयोजन सनातन गौरव का प्रतीक है और एकता में विविधता को दर्शाता है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने शुभकामनाएं प्रकट करते हुए कहा, “महाकुंभ आस्था, भक्ति और संस्कृति का पवित्र संगम है।”
आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ा आर्थिक अवसर भी है।
• सरकार को इससे $3-4 बिलियन (₹25,000 करोड़) की राजस्व वृद्धि का अनुमान है।
• इसके अतिरिक्त, इस आयोजन से ₹72 लाख करोड़ का आर्थिक प्रभाव होगा, जो स्वयं सहायता समूहों, कारीगरों, होटल व्यवसायियों और स्थानीय विक्रेताओं को लाभ पहुंचाएगा।
• डाबर, आईटीसी और मदर डेयरी जैसे बड़े ब्रांड्स ₹3,000 करोड़ का निवेश करेंगे।
ढांचागत विकास पर विशेष जोर

मेले के लिए ₹6,900 करोड़ की राशि 549 परियोजनाओं पर खर्च की गई है।
• इनमें नई सड़कों, पुलों और परिवहन नेटवर्क का निर्माण शामिल है।
• 2019 में हुए कुंभ मेले की सफलता ने इस बार के आयोजन से उम्मीदें और बढ़ा दी हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं:
• अंडरवाटर ड्रोन, एआई-सक्षम कैमरे और रिमोट लाइफ-सेविंग बॉय लगाए गए हैं।
• पीएसी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें 700 से अधिक नावों पर तैनात हैं।
धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महोत्सव

महाकुंभ मेला 2025, प्रयागराज को न केवल एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है, बल्कि इसे वैश्विक मानचित्र पर एक सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र के रूप में भी पहचान दिला रहा है। सनातन परंपरा और आधुनिक तकनीक का यह संगम श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए अविस्मरणीय अनुभव लेकर आया है।